सेक्शन 43 (Company Act 2013) के अनुसार कंपनी दो तरह के शेयर जारी कर सकती है|
Preference Shares
Equity Shares
Equity Shares:-
Equity Shares वो शेयर्स होते हैं जो preference शेयर्स नहीं हैं| आसान शब्दों में कहें इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के true (सच्चे) ओनर (मालिक) कहलाते हैं|
इक्विटी शेयर पर preference शेयर के बाद डिविडेंड दिया जाता है और Dividend fix नहीं होता है| मान लेते हैं preference शेयर पर डिविडेंड 1,00,000 बनता है और प्रॉफिट भी 1,00,000 ही हुआ है| यहाँ इक्विटी शेयर को प्रॉफिट में हिस्सा नहीं मिलेगा| इसके उलट यदि प्रॉफिट 10,00,000 हुआ है तो इक्विटी शेयर होल्डर को 9,00,000 रूपए मिलेंगे|
ऊपर दिए हुए Example में risk इक्विटी शेयर होल्डर ने लिया है इसलिए इक्विटी शेयर होल्डर true ओनर कहलाते हैं|
इक्विटी शेयर होल्डर को बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर को चयन करने के लिए वोटिंग राईट होता है|
कंपनी की बुक चेक करने का अधिकार होता है|
Preference Shares:-
Preference Shares holder के पास 2 अधिकार होते हैं|
इनको इक्विटी शेयर होल्डर से पहले डिविडेंड दिया जाता है और इनका डिविडेंड फिक्स्ड होता है| जैसे किसी ने कंपनी के 10% preference shares @ 100 each ख़रीदे हैं| यदि 200 शेयर्स ख़रीदे हैं तो 20,000 लगायें हैं| इन्हें 20,000 का 10%, 2000 रूपए डिविडेंड के रूप में मिल जाएगा|
यदि कंपनी बंद होती है, इस परिस्थिति में पहले Preference Share holder का पैसा वापस किया जाएगा| यदि पैसा बचता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को जाएगा| बाकि नुक्सान इक्विटी शेयर होल्डर को ही उठाना पड़ेगा|
प्रेफेरेंस शेयर के प्रकार :
Cumulative Preference Share:-
Cumulative Preference Share:-
इस तरह के शेयर्स में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा होता रहता है, मान लेते हैं 2019 चल रहा है, कंपनी 2018 और 2017 का डिविडेंड कम प्रॉफिट होने के कारण, preference शेयर्स को pay नहीं कर पायी|
इस case में यदि आपके पास Cumulative Preference Share हैं तो आको पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाएगा| इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा (Cumulate) होता रहता है|
Non-Cumulative Preference Share:-
इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड नहीं मिलता है| यदि पिछले साल डिविडेंड मिलने से रहा गया था कम प्रॉफिट होने के कारण तो वो अगले साल नहीं मिलेगा|
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