सोमवार, 20 जनवरी 2020

Dividend Kya Hota hai ? (लाभांश क्या होता है)

Dividend का हिंदी अर्थ होता है – लाभांश, और इस तरह डिविडेंड (Dividend) यानी लाभांश का अर्थ है – लाभ का अंश, या लाभ में हिस्सा,
आज के इस टॉपिक में हम जानेंगे कि डिविडेंड क्या होता है ? ये कैसे काम कर सकता है ? और डिविडेंड के क्या क्या फायदे है ?
आइए सबसे पहले बात करते है –

Dividend Kya Hota hai ? (लाभांश क्या होता है)

डिविडेंड किसी कंपनी के द्वारा उसके शेयर होल्डर को दिया जाने वाला कम्पनी के NET PROFIT (शुद्ध लाभ) का एक हिस्सा होता है,
कम्पनी को जो भी लाभ होता है, उसमे टैक्स और सभी तरह के दुसरे ADJUSTMENT करने के बाद बची NET PROFIT (शुद्ध लाभ) को कम्पनी के शेयर होल्डर में बराबर बराबर बाटा जाता है, और जिस व्यकित के पास जितने शेयर होते है, उस व्यक्ति को उसी अनुपात में डिविडेंड का लाभ प्राप्त होता है,


जैसे – अगर मेरे पास reliance के 100 शेयर है, जिस पे reliance ने 5 रूपये प्रति शेयर का डिविडेंड दिया, इसका मतलब मुझे कुल डिविडेंड मिलेगा : 100 X 5 = 500 रूपये,

DIVIDEND देने का फैसला

ध्यान देने वाली बात है कि डिविडेंड देना है या नहीं, ये पूरी तरह कम्पनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के ऊपर निर्भर करता है, अगर  Board of Directors चाहे तभी कम्पनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है,
डिविडेंड देने का फैसला कंपनी की Annual General Meeting (AGM) में बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर द्वारा किया जाता है,
ध्यान देने वाली बात ये है कि – ज्यादातर कंपनी जो मार्केट में नए होते है, या जो इस पालिसी पर चलते है कि वे लाभ को वापस बिज़नस में ही लगा कर बिज़नस को और बढ़ाएंगे, ऐसी कंपनी डिविडेंड बहुत कम देती है, या नहीं देती है,

 DIVIDEND का कैलकुलेशन

इस बात को खास ध्यान रखे कि डिविडेंड हमेशा शेयर के FACE VALUE पर दिया जाता है, और इसका कैलकुलेशन भी FACE VALUE पर ही किया जाता है,
जैसे किसी स्टॉक का करंट मार्केट price है – 500 रूपये,
लेकिन उस स्टॉक का फेस वैल्यू अगर 10 रूपये है, और कम्पनी 100 % डिविडेंड देने का फैसला करती है,
तो इसका मतलब है शेयर का फेस वैल्यू है 10 रुपये, तो 100% डिविडेंड का मतलब है प्रति शेयर 10 रूपये का डिविडेंड मिलेगा,
ध्यान रहे डिविडेंड का current MARKET PRICE से कोई लेना देना नहीं होता है,

DIVIDEND निवेशक को किस ACCOUNT में दिया जाता है,

डिविडेंड उस BANK ACCOUNT में CREDIT होता है, जो हमारे DEMAT ACCOUNT में LINKED होता है, जिसमे शेयर होल्डिंग्स पड़ी हुई होती है,
जैसे अगर मेरा आईसीआईसीआई बैंक का अकाउंट DEMAT ACCOUNT के साथ लिंक्ड है, और मेरे इस DEMAT ACCOUNT में TCS के शेयर क्रेडिटेड है,
और अगर TCS, कंपनी डिविडेंड देने कि घोषणा करती है, तो मुझे मेरे आईसीआईसीआई बैंक के अकाउंट में डिविडेंड डायरेक्टली क्रेडिट हो जायेगा,

 DIVIDEND कितने तरह के होते है –

  • INTERIM DIVIDEND – जब कंपनी फाइनेंसियल इयर के भीतर ही quarterly डिविडेंड की घोषणा करती है, तो इसे INTERIM DIVIDEND कहा जाता है,
  • FINAL DIVIDEND – जब कंपनी Financial Year के अंत में Annual डिविडेंडकी घोषणा करती है, तो इसे FINAL DIVIDEND कहा जाता है,

DIVIDEND के फायदे

डिविडेंड के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार है
  • डिविडेंड TAX FREE INCOME होता है, इसलिए अगर आपको किसी स्टॉक/शेयर/म्यूच्यूअल फण्ड पर जब डिविडेंड मिलता है, तो डिविडेंड पर कोई टैक्स नहीं लगता है,
  • डिविडेंड एक पूरी तरह PASSIVE INCOME है, और एक बैलेंस्ड निवेश पोर्टफोलियो में डिविडेंड इनकम को भी शामिल क्या जाता है.
  • किसी कंपनी के मार्केट में शेयर भाव का उसके डिविडेंड पर कोई फर्क नहीं होता है, कम्पनी अगर डिविडेंड देना चाहती है, तो शेयर के फेस वैल्यू पर दे देती है,
  • डिविडेंड एक फिक्स्ड इनकम की तरह होता है, बड़ी बड़ी स्थापित और वर्षो पुरानी कंपनी अक्सर निश्चित समय पर डिविडेंड देती रहती है,

DIVIDEND YIELD क्या होता है ?

DIVIDEND YIELD एक फाइनेंसियल RATIO है, जो स्टॉक के डिविडेंड कमाने की क्षमता को दिखाता है,


और इस तरह डिविडेंड यील्ड निवेशक को किसी स्टॉक के डिविडेंड कमाने की क्षमता और उसके शेयर के मार्केट प्राइस के बीच सम्बन्ध को बताता है,
जैसे – मान लीजिए अगर INFOSYS कंपनी जिसके स्टॉक का FACE VALUE 5 रूपये, और मार्केट वैल्यू है 800 रूपये प्रति शेयर ,
और INFOSYS 200 % डिविडेंड की घोषणा करती है,
इसका मतलब इनफ़ोसिस से मिलने वाला डिविडेंड होगा, शेयर के फेस वैल्यू का 200 % = 10 रूपये,
और अगर DIVIDEND YIELD की बात की जाये तो, हमें शेयर के डिविडेंड वैल्यू को मार्केट वैल्यू से भाग देना होगा,
इस तरह
INFOSYS के शेयर का डिविडेंड यील्ड होगा = (10/800)*100  = .0125 X 100 = 1.25%
और इस तरह INFOSYS का डिविडेंड यील्ड होगा = 1.25 %

DIVIDEND ANNOUNCEMENT DATES

जब कोई कंपनी DIVIDEND देने की घोषणा करती है, तो डिविडेंड तुरंत ही नहीं दे दिया जाता है, बल्कि डिविडेंड की घोषणा और डिविडेंड के पेमेंट के बीच चार  प्रमुख DATES होते है, और अंतिम Date पर ही डिविडेंड का पेमेंट होता है,
ये चार Date इस प्रकार है –
  1. Dividend declaration date- यह वो Date होता है, जिस दिन कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा अपने शेयर होल्डर को करती है,
  2. Last Cum-dividend date/.Ex-Dividend date – यह वो Date है, जो Last date होता है, इस Date के बाद अगर किसी ने स्टॉक या शेयर ख़रीदा है, तो उसे डिविडेंड नहीं मिलेगा, अगर आपको किसी स्टॉक का डिविडेंड पाना है, तो आपको इस Last Cum-dividend date से पहले उस स्टॉक को खरीदना होगा,
  3. Date of record या Record date – यह वो Date होता है, जिस दिन कंपनी अपने रिकॉर्ड बुक्स में ये देखती है, अभी उसके शेयर किन किन लोगो के पास है, इस Date पर कंपनी के रिकॉर्ड बुक में जिन लोगो का नाम रहता है, वही शेयर का डिविडेंड पाने के हक़दार होते है,
  4. Date of डिविडेंड Payment. – यह वो Date होता है, जब कंपनी द्वारा वास्तव में डिविडेंड का पेमेंट किया जाता है,

शेयर के प्रकार

सेक्शन 43 (Company Act 2013) के अनुसार कंपनी दो तरह के शेयर जारी कर सकती है|

    Preference Shares
    Equity Shares




Equity Shares:-
Equity Shares वो शेयर्स होते हैं जो preference शेयर्स नहीं हैं| आसान शब्दों में कहें इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के true (सच्चे) ओनर (मालिक) कहलाते हैं|

    इक्विटी शेयर पर preference शेयर के बाद डिविडेंड दिया जाता है और Dividend fix नहीं होता है| मान लेते हैं preference शेयर पर डिविडेंड 1,00,000 बनता है  और प्रॉफिट भी 1,00,000 ही हुआ है| यहाँ इक्विटी शेयर को प्रॉफिट में हिस्सा नहीं मिलेगा| इसके उलट यदि प्रॉफिट 10,00,000 हुआ है तो इक्विटी शेयर होल्डर को 9,00,000 रूपए मिलेंगे|
    ऊपर दिए हुए Example में risk इक्विटी शेयर होल्डर ने लिया है इसलिए इक्विटी शेयर होल्डर true ओनर कहलाते हैं|
    इक्विटी शेयर होल्डर को बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर को चयन करने के लिए वोटिंग राईट होता है|
    कंपनी की बुक चेक करने का अधिकार होता है|



Preference Shares:-


Preference Shares holder के पास 2 अधिकार होते हैं|

    इनको इक्विटी शेयर होल्डर से पहले डिविडेंड दिया जाता है और इनका डिविडेंड फिक्स्ड होता है| जैसे किसी ने कंपनी के 10% preference shares @ 100 each ख़रीदे हैं| यदि 200 शेयर्स ख़रीदे हैं तो 20,000 लगायें हैं| इन्हें 20,000 का 10%, 2000 रूपए डिविडेंड के रूप में मिल जाएगा|
    यदि कंपनी बंद होती है, इस परिस्थिति में पहले Preference Share holder का पैसा वापस किया जाएगा| यदि पैसा बचता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को जाएगा| बाकि नुक्सान इक्विटी शेयर होल्डर को ही उठाना पड़ेगा|


प्रेफेरेंस शेयर के प्रकार :

Cumulative Preference Share:-

इस तरह के शेयर्स में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा होता रहता है, मान लेते हैं 2019 चल रहा है, कंपनी 2018 और 2017 का डिविडेंड कम प्रॉफिट होने के कारण, preference शेयर्स को pay नहीं कर पायी|

इस case में यदि आपके पास Cumulative Preference Share हैं तो आको पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाएगा| इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा (Cumulate) होता रहता है|

Non-Cumulative Preference Share:-

इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड नहीं मिलता है| यदि पिछले साल डिविडेंड मिलने से रहा गया था कम प्रॉफिट होने के कारण तो वो अगले साल नहीं मिलेगा|

शेयर बाजार से कैसे कमाया जा सकता है पैसा?

हर निवेशक शेयर बाजार से मोटी कमाई करने की चाहत रखता है चाहे उसका अनुभव कम या ज्यादा हो. ऐसी चाहत रखना आसान है, लेकिन अपने पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छी कमाई करने के लिए अच्छी रणनीति जरूरी है. शेयर बाजार में निवेश के लिए विवेक, समझ और रणनीति के साथ-साथ धीरज बहुत जरूरी है. अच्छी कमाई का मूलमंत्र इन बातों में छिपा है. ये बातें न सिर्फ शानदार रिटर्न देने की काबिलियत रखती हैं, बल्कि आपके पैसे को भी डूबने से बचाती हैं. निवेश करना सरल है, मगर इसे खेल नहीं समझना चाहिए. इसके लिए बाजार की समझ तो जरूरी है ही. बाजार में सफल होने का कोई फॉर्मूला या शॉर्ट-कट नहीं है. मगर कुछ बातों पर अमल कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या हैं ये बातें.

हर निवेशक शेयर बाजार से मोटी कमाई करने की चाहत रखता है चाहे उसका अनुभव कम या ज्यादा हो. ऐसी चाहत रखना आसान है, लेकिन अपने पैसे की सुरक्षा के साथ अच्छी कमाई करने के लिए अच्छी रणनीति जरूरी है. शेयर बाजार में निवेश के लिए विवेक, समझ और रणनीति के साथ-साथ धीरज बहुत जरूरी है. अच्छी कमाई का मूलमंत्र इन बातों में छिपा है. ये बातें न सिर्फ शानदार रिटर्न देने की काबिलियत रखती हैं, बल्कि आपके पैसे को भी डूबने से बचाती हैं. निवेश करना सरल है, मगर इसे खेल नहीं समझना चाहिए. इसके लिए बाजार की समझ तो जरूरी है ही. बाजार में सफल होने का कोई फॉर्मूला या शॉर्ट-कट नहीं है. मगर कुछ बातों पर अमल कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या हैं ये बातें. इसे बभी पढ़ें: प्रमोटरों के आम शेयरधारक बनने के नियमों को आसान बनाएगा सेबी अपना होमवर्क पूरा करें दिग्गज वैश्विक फंड प्रबंधक पीटर लिंच का कहना है, "यदि आप किसी कंपनी के बारे में अध्ययन नहीं करते हैं, तो अच्छे शेयर का चयन करना जुआ ही है. आप पत्ते देखे बिना ही अपनी चाल चल रहे हैं." लिंच ने कहा कि निवेश सिर्फ वहीं करें, जिसके बारे में आपको पता हो. ऑनलाइन फाइनेंस पोर्टल 5नेंस के संस्थापक और सीईओ दिनेश रोहिरा का मानना है कि बाजार से कमाई करने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है. उन्होंने कहा, "धीरज के साथ गहन मंथन करना अनिवार्य है. अच्छे बिजनेस में निवेश करना चाहिए."



अपना होमवर्क पूरा करें दिग्गज वैश्विक फंड प्रबंधक पीटर लिंच का कहना है, "यदि आप किसी कंपनी के बारे में अध्ययन नहीं करते हैं, तो अच्छे शेयर का चयन करना जुआ ही है. आप पत्ते देखे बिना ही अपनी चाल चल रहे हैं." लिंच ने कहा कि निवेश सिर्फ वहीं करें, जिसके बारे में आपको पता हो. ऑनलाइन फाइनेंस पोर्टल 5नेंस के संस्थापक और सीईओ दिनेश रोहिरा का मानना है कि बाजार से कमाई करने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है. उन्होंने कहा, "धीरज के साथ गहन मंथन करना अनिवार्य है. अच्छे बिजनेस में निवेश करना चाहिए."

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों आता है?

किसी कंपनी के कामकाज, ऑर्डर मिलने या छिन जाने, नतीजे बेहतर रहने, मुनाफा बढ़ने/घटने जैसी जानकारियों के आधार पर उस कंपनी का मूल्यांकन होता है. चूंकि लिस्टेड कंपनी रोज कारोबार करती रहती है और उसकी स्थितियों में रोज कुछ न कुछ बदलाव होता है, इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से उसके शेयरों की कीमतों में उतार-चढाव आता रहता है.अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते से जुड़ी शर्त का पालन नहीं करती, तो उसे सेबी BSE/NSE से डीलिस्ट कर देती है.शायद आपको पता न हो, विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल वारेन बफे भी शेयर बाजार  में ही निवेश कर अरबपति बने हैं.

शेयर खरीदने का मतलब क्या है?

मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.


कंपनी जब शेयर जारी करती है उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह को कितने शेयर देना है, यह उसके विवेक पर निर्भर है. शेयर बाजार (Stock Market) से शेयर खरीदने/बेचने के लिए आपको ब्रोकर की मदद लेनी होती है.


आप कैसे कर सकते हैं शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत?



आपको सबसे पहले किसी ब्रोकर की मदद से डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. इसके बाद आपको डीमैट अकाउंट को अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा. बैंक अकाउंट से आप अपने डीमैट अकाउंट में फंड ट्रांसफर कीजिये और ब्रोकर की वेबसाइट से खुद लॉग इन कर या उसे आर्डर देकर किसी कंपनी के शेयर खरीद लीजिये. इसके बाद वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जायेंगे. आप जब चाहें उसे किसी कामकाजी दिन में ब्रोकर के माध्यम से ही बेच सकते हैं.


शेयर क्या है ?

शेयर का मतलब होता है हिस्सा. बाजार उस जगह को कहते हैं जहां आप खरीद-बिक्री कर सकें. अगर शाब्दिक अर्थ में कहें तो शेयर बाजार (Stock Market) किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने-बेचने की जगह है. भारत में बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) नाम के दो प्रमुख शेयर बाजार हैं